वो अनोखा नंदी
हरियाणा के यमुनानगर जिले में बिलासपुर नाम का एक कस्बा है। उन दिनों मै एक इलैक्ट्रिक प्रोजैक्ट पर काम करने बिलासपुर जाया करता था। एक दिन मैंने बाजार से जाते हुए एक अनोखा व अचंभित कर देनेवाला दॄश्य देखा। वहाँ मैंने देखा की एक सफेद बलशाली नंदी बैल घोड़े की तरह नाच-नाचकर एक शवयात्रा के आगे-आगे चल रहा था। मुझे यह सब देखकर काफी आश्चर्य हुआ तो इसलिए जिज्ञाशावश मै भी उस शवयात्रा में शामिल हो गया। श्मशान पहुँचने पर मैंने देखा की वह नंदी सबसे पहले जाकर चिता के आगे बैठ गया। जब शव का अंतिम संस्कार करके सभी लोग वापस चले गये तब श्मशान मे केवल मैं और वो अनोखा नंदी ही शेष रह गये थे। वो अनोखा नंदी सब लोगो के लौट जाने के बाद भी काफी देर तक उसी चिता के सामने बैठा रहा। मैं उबकर कुछ देर के बाद वहाँ से उठकर जाने लगा लेकिन अभी मैं कुछ कदम ही दूर गया था कि, वो नंदी बैल भी उठा और भागता हुआ श्मशान से बहार जाने लगा। "अब इस वक्त वो कहाँ जा रहा होगा ?" ये जानने के लिए मैं उत्सुक हो गया और इसलिए मैं भी उस नंदी के पीछे-पीछे हो लिया। वो दौड़ लगाकर मेरे आगे-आगे कही जा रहा था और मैं भी दौड़ते-भागते हुए उसका पीछा कर रहा था। मुझे दौड़ाते-भगाते, रुकते-चलाते हुए वह एक स्थान पर रुका और एक घर के बाहर जाकर बैठ गया। जब घर के लोगो को नंदी के आने का पता चला तब उन्होंने उसे रोटी खिलाई। मैं अनजान बनकर और स्वयं को किसी काम में व्यस्त दिखाने का नाटक कर दूर से ही ये सारी घटना को बड़ी ही आश्चर्यता से देखा रहा था। उस घर के सदस्यों को देखने पर मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था की जैसे मैंने पहले भी इन्हें कहीं देखा है। घर के लोगों पर थोड़ा गौर करने पर मुझे ज्ञात हुआ की ये तो वहीं लोग है जो श्मशान में उस शव के अंतिम संस्कार की क्रिया करवा रहे थे। अर्थात वो मृतक के परिजनों का ही घर था। अब धीरे-धीरे अंधेरा होने लगा था तो मैं भी अपने घर लौट आया लेकिन पूरी रात मैं दिनभर की एकदम आश्चर्यचकित कर देनेवाली घटना के बारे में ही सोचता रहा। उस नंदी के इस अजीब व्यवहार के बारे में सोचते हुए ही मेरी पूरी रात गुजार गयी। जब सुबह हुई तो मैं कल की घटना के बारे में जानने के लिए फिर उसी बाजार मे गया जहाँ से शवयात्रा निकली थी। लोगो से पूछने पर पता चला कि, "इस कस्बे में जब भी किसी घर मे मौत होती है तो यह नंदी खुद ब खुद वहाँ पहुँच जाता है और शवयात्रा के आगे नाचते-नाचते श्मशान तक शवयात्रा को लेकर जाता है। जब सभी लोग अंतिम संस्कार करके लौट आते हैं तो वह अंत मे वहां से उठकर मृतक के घर चला आता है।" उस नंदी के बारे में मुझे लोगों से बस इतना ही पता चल पाया था किन्तु मेरे प्रश्न अभी समाप्त नहीं हुए थे। मैं ये सोच रहा था कि, "उस नंदी को कैसे पता लगता है की किस घर मे मौत हुई है ? उसे कैसे पता लगता है की लोग उस शव को लेकर श्मशान मे ही जाऐंगे ?" मेरे लिए यह बहुत हैरानी की बात थी। यह तो उस बैल के अचरज में डाल देने वाले कामों का आरंभ मात्र ही था। उस नंदी बैल के अचम्भे में डाल देने वाले और भी रोचक किस्से थे जिनमें कुछ का साक्षी तो मैं स्वयं ही हूँ।वो अनोखा नंदी सामान्यतः बहुत ही शांत स्वभाव का था। बाजार में वो हर रोज हर सब्जी और फल की रेहडी पर जाकर मानो जैसे वसूली ही करता था। हर रेहडी वालें उसे कुछ न कुछ खाने को ऐसे देते थे जैसे की मानो बाजार में अपना ठेला लगाने के लिए किसी को हफ्ता दे रहें हो। मैंने अपने जीवन में गौवंश को खिलाते हुए बहुत से लोग देखे मगर पिलाने वाले लोग सिर्फ उस कस्बे में ही देखे। वहाँ के लोग नंदी को शराब भी पिलाते थे। उन दिनों हरियाणा मे शराब बंदी लागू की गई थी। शराब को लेकर पुलिस भी बहुत सख्ताई पर थी। शराब बंदी पर यदि नंदी की बात करे तो वो दूर से ही पहचान लेता था कि किसने शराब पी हुई है या किसने अपने खीसों मे शराब का पाऊच छुपाया है। यदि कोई छुपा हुआ नशेड़ी व्यक्ति भी शराफत का ढोंग करे तब भी उसका उस अनोखे नंदी की जासूसी नाक से बच पाना मुश्किल ही था। वो अनोखा नंदी सीधा उसके सामने खडा हो जाता था और नशेड़ी का सारा शराफत वाला ढोंग धरा का धरा ही रह जाता था। वो अनोखा नंदी कई बार कई जेंटलमेनों को सरे बाजार में रंगे हाथ पियक्कड़ साबित कर शर्मशार करने का कारनामा भी कर चूका था और इसलिए गाँव के कथित इज्जदार बाबुओं में वो अनोखा नंदी मुसीबत का सबब बन चूका था। बाकी नामचीन पियक्कड़ों को उस नंदी से कोई समस्या नहीं थी। शराबी जानते थे कि यह अपना हिस्सा लिए बिना हमें नहीं छोड़ेगा इसलिए नंदी के अपने सामने प्रकट हो जानेपर वें चुपके से शराब की पाऊच फाडकर नंदी के मुँह पर लगा देते और नंदी भी उस शराब को डकारकर अपने अगले शिकार की तलाश करने निकल पड़ता। जैसे ही यह बात पुलिसवालों को पता चली तो दो सिपाही उसके पीछे तैनात कर दिये गए और नंदी की मदद से धरपकड शुरू हो गई। अब तो वो अनोखा नंदी इज्जदार जेंटलमैन बाबुओं के साथ-साथ नामचीन पियक्कड़ों के लिए भी बड़ी मुसीबत बन चूका था। उस नंदी की एक और बात बहुत विलक्षण थी जो मुझे वहाँ के लोगो से ही पता चली थी। वो बात यह थी की एक बार गॉंव में एक इसाई व्यक्ती की मृत्यु हुई और वो अनोखा नंदी वहाँ आया और एक या दो मिनट रुककर वापस चला गया। यह जानकर मुझे बहुत अजीब सा लगा। बाद मे पता चला कि वो केवल श्मशान जाने वाली शवयात्रा के आगे ही नाचकर चलता था। ये बहुत अविश्वसनीय बात है कि, "वो कैसे समझ जाता था की कौन श्मशान जाएगा और कौन नहीं ?" कस्बे की हर शादी मे वो जाता था। लोग जानते थे कि ये बैल बिना शराब पीये यहाँ से वापस नही जाऐगा। इसलिए हर शादी में लोग उसे शराब पिलाते थे और वो अनोखा नंदी भी शराब पीकर खुश हो जाता और दूल्हे-दुल्हन को अपना मूक आशीर्वाद देकर वहाँ से घोड़े की तरह नाचते हुए चला जाता और श्मशान जाकर सो जाता था। उसे हमेशा रात मे लोगो ने सिर्फ श्मशान मे ही सोते हुए देखा था। बेदाग सफेद रंग का बलशाली वो अनोखा नंदी उस कस्बे की शान के समान था। मुझे जब भी वो अनोखा नंदी याद आता है तो मेरे चेहरे पर अकस्मात ही मुस्कान आ जाती है।
!! हर हर महादेव !!
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