आयुर्वेद अनुसार गुनगुने पानी पीने के स्वास्थ्य लाभ !
२) कब्ज से छुटकारा :- ठंड में वस्तु को सघन करने का तो ठीक इसके उलट गर्मी में ठोस वस्तु को पिघलाने का गुणधर्म होता है। इसलिए ठंडा पानी पेट में पहुँचकर भोजन तथा मल दोनों को सख्त कर देता है जिससे अपचन एंव कब्ज हो जाती है। लेकिन गरम पानी इसके ठीक उलट भोजन को विघटित करके उसे जल्दी पचाने का काम करता है। इसके अलावा गर्म पानी आँतों में अटके पुराने से पुराने मल को भी भिगोकर अपने में विघटित करके घोल लेता है और फिर शौच द्वारा उसे शरीर से बाहर निकाल देता है।
३) मोटापे से छुटकारा :- जिन लोगों के शरीर की चयापचय की क्रिया (Metabolism) धीमी होती है अधिकतर उनमे मोटापा पाया जाता है। गुनगुने पानी के सेवन से ना केवल पाचन क्रिया में सुधार होता है बल्कि व्यक्ति के शरीर की चयापचय की क्रिया (Metabolism) भी बढ़ जाती है जिसके फलस्वरूप शरीर में जमा फालतू की चर्बी पिघलाने में सहायता मिलती है जिससे धीरे-धीरे प्राकृतिक रूप से वजन में भी गिरावट होने लगाती है।
४) शरीर को सुडौल, पुष्ठ व मजबूत बनाता है :- गर्म या गुनगुना पानी शरीर से खासकर आँतों और लिवर से विषैले पदार्थों को बहार निकालकर भोजन के चयापचय की क्रिया को सामान्य कर देता है जिससे भूख खुलकर लगती है और लिवर से विषैले तत्त्व निकल जाने से उसकी कार्य क्षमता भी दोगुनी हो जाती है। भूख ज्यादा लगने से भोजन की ज्यादा मात्रा शरीर को मिलती है और लिवर भी भोजन को बिना व्यर्थ किये पूरा जीवनरस बना पाता है जिसके परिणामस्वरूप नया खून, नयी मांसपेशियाँ बनकर शरीर हिष्ट-पुष्ट होकर बलवान होता है।
५) शरीर से Toxins (विषैले पदार्थ) को बाहर निकालता है :- गुनगुना पानी आँतो और लीवर की भाँति ही किडनी समेत खून में मिलकर पूरे शरीर से गन्दगी निकालकर शरीर की आँतरिक सफाई करता है। शरीर से हानिकारक Toxin मल-मूत्र मार्ग से निकालकर गुनगुना पानी प्राकृतिक रूप से मल-मूत्र मार्ग की भी सफाई करता है।
६) पेट से संबंधित रोगों से रक्षा करता है :- महर्षि वाक्भट्ट ने आयुर्वेद में स्पष्ट किया है की १०० से अधिक रोग केवल पेट से सम्बंधित होते हैं इसलिए उन्होंने पेट को स्वस्थ रखने के अनेको रामबाण आयुर्वेदिक औषधियों का वर्णन आयुर्वेद में किया है। महर्षि वाक्भट्ट ने अपनी दिनचर्या में पेट की सारी बीमारियों से निपटने के लिए गुनगुने पानी का सेवन करने की सलाह दी है। दिन में केवल दो से तीन बार गुनगुने पानी के सेवन से ही हम पेट की गड़बड़ी से होनेवाली कई बीमारियों की चपेट में आने से बच सकते हैं। गुनगुना पानी पेट में पहुँचकर ना केवल आँतो की सफाई करता है बल्कि पेट में पहुँचकर अंदरूनी सूजन या चोटों की सेंकाई कर आराम भी पहुँचाता है। गुनगुना पानी हेलिकोबैक्टर पायरोली नामक बैक्टीरिया के संक्रमण को रोकता है जिस बैक्टीरिया की अधिक संख्या पेट के अल्सर का मुख्य कारण होता है।
७) किल मुँहासे :- पेट में गड़बड़ी का होना, खून में अशुद्धियाँ व चहरे की त्वचा पर मृत कोशिकाएँ (Dead Skin Cells) वो सारे कारण है जिनकी वजह से किल मुँहासे होते हैं। गुनगुने पानी से पेट तो निरोगी रहता ही है और गर्म पानी खून में जाकर खून में मौजूद सारी अशुद्धियों को निकालकर रक्तशोधन का काम भी करता है। गुनगुने पानी से पसीने के रूप में Toxin निकलकर त्वचा के रोमछिद्र खोलता है जिससे मृत कोशिकाएँ भी निकल जाती है। गर्म पानी की रक्तशोधन एंव रोमछिद्र को खोलने की प्रकृति के कारण ही यह किल और मुहांसों में गुणकारी साबित होता है।
८) साँसों की बदबू से निजाद :- गुनगुने पानी के सेवन से मुँह में छिपे कीटाणु मर जाते है तथा जीभ की सतह की सफाई भी होती है, जिससे मुँह से आनेवाली दुर्गंध से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा पेट में जमा अशुद्धि भी मुँह से दुर्गन्ध आने का कारण होती है जिसे भी गुनगुना पानी दूर करता है।

९) तव्चा को हाईड्रेट (Hydrate) कर जवाँ बनाये रखता है :- गुनगुने पानी के सेवन से पसीना आता हैं और जिससे शुष्क हुई त्वचा को पसीने के रूप में नमी प्राप्त होती है। गुनगुना पानी खून में मिलकर सीधे त्वचा की कोशिकाओं तक पहुँचकर उनको Hydrate करता है।
१०) बालो को सेहतमंद बनाता है :- गुनगुना पानी रक्तशोधन करके सर की त्वचा को Hydrate करता है जिससे बालों को पोषण मिलकर वें स्वस्थ व चमकदार होते हैं। गर्म पानी खून में प्रवाहित होकर पसीने के द्वारा बालों के नीचे की त्वचा (Scalp) को भी साफ करता है जिससे रूसी (Dandruff) की समस्या से निजात मिलती है और बालों का झड़ना कम होता है।

९) तव्चा को हाईड्रेट (Hydrate) कर जवाँ बनाये रखता है :- गुनगुने पानी के सेवन से पसीना आता हैं और जिससे शुष्क हुई त्वचा को पसीने के रूप में नमी प्राप्त होती है। गुनगुना पानी खून में मिलकर सीधे त्वचा की कोशिकाओं तक पहुँचकर उनको Hydrate करता है।
१२) गठिया व बदन दर्द में :- गुनगुना पानी खून के माध्यम से दर्द से पीड़ित अंग में पहुँचकर मस्तिष्क द्वारा भेजे गए दर्द के अहसास दिलानेवाले व सूजन को बढ़ानेवाले रसायन को नियंत्रित करके प्राकृतिक दर्दनिवारक (Pain killer) का काम करता है। इसलिए गठिया रोग से पीड़ित व्यक्ति को हमेश गुनगुना पानी पीने की सलाह दी जाती हैं।
१५) सर्दी-जुखाम में राहत :- चूँकि गुनगुने पानी से रोगप्रतिरोधक क्षमता बढती है इसलिए सर्दी और जुखाम जैसे मौसमी बिमारी से लड़ने में गुनगुना पानी शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली की सहायता करता है। सर्दी- जुखाम में बलगम की वजह से गले की खराश और सूजन तथा खाँसी की समस्या उत्पन्न होती है। गुनगुने पानी के सेवन से गले की सेंकाई होकर सूजन में राहत के साथ-साथ बलगम को भी शरीर से बाहर निकालने में सहायता मिलती है जिससे गले में दर्द, टॉन्सिल और खाँसी में भी आराम मिलता है।
१६) शरीर का तापमान नियंत्रित रखता है :- मौसम ठंड का हो तो किसी को गुनगुना पानी पीने से कोई भी परहेज नहीं होता किन्तु गर्मी के मौसम में कोई भी गुनगुना पानी पीने की बात तक नहीं सोचता। लेकिन यकीन मानो गर्मी में भी गुनगुना पानी शरीर में पहुँचकर पसीने के रूप में बाहर निकालता है जिससे ना केवल शरीर की अशुद्धियाँ कम होती है बल्कि पसीना वाष्पीकृत होकर ठंडक भी उत्पन्न करता है जिससे शरीर का तापमान प्राकृतिक रूप से नियंत्रित होता है।
Writer :- Vikas Bounthiyal
Edited by :- NA
Source of article :- The Great Ayurveda
Source of images :- Google non-copyrighted images
Length of the article :- 1325 Words (Calculated by wordcounter.net)
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