रिश्ते गजब के यूँ निभाते है लोग,
बुलाने पर भी नही आते है लोग...
लगी आग बस्ती में जब भी कभी,
हवा और देकर बुझाते है लोग...
कहने तो आई नहीं हमको गजल,
सुना गजलें मेरी गुनगुनाते है लोग..
रह ही गया शायर तनहा ही तनहा,
कृष्णा है कह उंगली दिखाते है लोग...
जमीं को रुला आसमां को जलाके,
कल कारखाने अब लगाते है लोग...
आँखों में समंदर रोपकर के हमारे,
प्यार कुछ यूँ हमसे जताते है लोग...
मन मलंग आज गर तेरा है कृष्णा,
दुनियाँ के झमेले छोड़ सताते हैं लोग...
दुनियाँ डूबी है मौकापरस्ती में यारो,
चंद रुपयों की खातिर सर उड़ाते हैं लोग...
✍️कृष्णा पांडे
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